जीवन धुरी

जन्म लग्न एवं नवमांश लग्न
9 Aug 2017

जीवन धुरी – मज़बूत जन्म लग्न एवं नवमांश लग्न (Strong Lagna and Navamsa Lagna)

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Strong Lagna and Navamsa Lagna.

ज्योतिष की दृष्टि से, लग्न स्थूल शरीर, प्रकटन, रंग रूप, बाहरी ढांचा, निर्माण आदि का प्रतिनिधित्व करता है अर्थात जो दूसरों को दिखाई है, जबकि डी-9 नवमांश लग्न आंतरिक आत्म का प्रतिनिधित्व करता है कि कैसे एक व्यक्ति प्रतिक्रिया, जवाब, उसकी घारणा, आत्म विश्वास, उसके एहसास बाहरी वातावरण के विरुद्ध होते हैं अर्थात् जो केवल खुद को नज़र आता है। डी-९ का प्रयोग विवाह के चित्रण के लिए विशेष, घटनाओ की पुष्टि हेतु मुख्य एवं अनेक अन्य।

संक्षेप में, बाहरी शरीर और आंतरिक विचार व्यक्ति को बनाने और नष्ट करने के जिम्मेदार हैं।

इस लेख का उदेश्य इन ज्योतिषीय लग्नो के महत्त्व एवं उनके मजबूत करने के आयामों का संज्ञान लेना है जोकि मनुष्य के जीवन की धूरी हैं एवं इनकी निर्णायक भूमिका है।

अतः लोगों को हमेशा अपने लग्न की मज़बूती के लिए किसी भी तरह नियमित रूप से कोशिश करनी चाहिए।

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रत्न पहनने की सलाह देने से पहले कई अन्य मापदंडों का ध्यान रखा जाता है इसलिए केवल काबिल ज्योतिषीय परामर्श के उपरान्त ही धारण करें, यद्यपि रत्न धारण करने से भी लाभ होता है पर शर्ते लागू हैं। इसी प्रकार से दान में भी ध्यान रखना पड़ता है।

सबसे अच्छा तरीका है पूजा और प्रार्थना का। ग्रह से सम्बंधित या उनका प्रतिनिधित्व कर वाले देवी देवता का नित्य प्रति और उन चीजों से बचने या न करने का जो उनको पसंद न हो और उनको प्रतिनिधित्व करने वाले कर्मो और पदार्थो का सम्मान करने का।

आगे ,प्रत्येक लग्न के सम्बन्ध में उसके सामने लिखा गया है———————

—>लग्न (मेष & वृश्चिक) (१ & ८) —पूजा करें श्री हनुमान, भैरव जी, सुब्रमण्यम जी

! नियमित रूप से हवन, होम आदि करने से बहुत लाभ होता है, अग्नि का हमेशा सम्मान करें

—>लग्न (वृषभ & तुला) (2 & ७) -आराधना करें माता लक्ष्मी, माता दुर्गा, यक्षिणी, सूचि

! हर नवरात्रे में कन्या पूजन बहुत उपयोगी है अपने आप को स्वच्छ और साफ रखें, पर्याप्त मात्रा में जल / तरल पदार्थ का सेवन करें

—>लग्न (मिथुन & कन्या) (3 & ६) -आराधना करें भगवान् विष्णु, श्री राम, श्री कृष्णा

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! भगवान् समय-समय पर श्री विष्णु सहत्रनाम पाठ करें हरे पौधों को लगाएं एवं प्रतिदिन स्वयं उनको पानी डालें

—>लग्न (कर्क) (4) -पूजा करें चन्द्रमा की, देवी पार्वती, दुर्गा, चामुंडा, काली,

! चन्द्रमा को जल दें नित्य प्रति, कभी पानी और दूध बर्बाद न करें, शरीर में पानी की कमी न होने दें

—>लग्न (सिंह) (5) -पूजा करें सूर्य भगवान की, भगवान शिव, भगवान सुब्रमण्यम, भगवान गणेश

! सूर्य को जल दें नित्य प्रति नियमित रूप से हवन, होम आदि करने से बहुत लाभ होता है, अग्नि का हमेशा सम्मान करें

—>लग्न (धनु & मीन) (9 & 12) -पूजा भगवान विष्णु, भगवान बृहस्पति, भगवान शिव

! नियमित रूप से मंदिर जाएँ, धार्मिक गतिविधियों में हिस्सा लें, तीर्थयात्रा पर मौका मिलने पर जाएँ

—>लग्न (मकर & कुंभ) (10 & 11) -पूजा यहोवा शनि, प्रभु अयप्पा, भगवान ब्रह्मा, देवी काली, श्री हनुमान

! पीपल के वृक्ष की नियमित पूजा, किन्ही भी मन्त्रों का नियमित जप, शराब और मांस का त्याग शनिवार को।

अपने लग्न से सम्बंधित देवी देवता की पूजा करें और नियमित रूप से मंत्र जप, स्रोत पाठ अपने दैनिक पूजा कार्यक्रम में शामिल करना चाहिए स्वस्थ शरीर और सृजनात्मक विचारों के लिए।

यदि संभव हो तो, नित्य सूर्य देव की आराधना करने की चेष्ठा करनी चाहिए क्योंकि लग्न भाव प्राकृतिक रूप से सूर्य देव के आधीन है।

नमो नारायण

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