पीपल वृक्ष, एक अद्भुत वृक्ष (Peepal A Miracle Tree)
Peepal Tree Miracles
पीपल वृक्ष का हमारे वैदिक संस्कृति और परंपरा में एक चमत्कारी पेड़ के रूप में माना जाता है। हमारे शास्त्र जैसे ब्रह्मा, पुराण स्कन्द पुराण, पद्म पुराण और भगवद गीता भी इसकी महत्ता को दर्शाती है और हमें इस पेड़ के महत्व से अवगत कराने के लिए विभिन्न कहानियों का चित्रण करती है।
पीपल वृक्ष में त्रिमूर्ति (ब्रह्मा विष्णु महेश) में दिव्य निवास होता है। भगवान विष्णु जड़ में, भगवान ब्रह्मा तने में और भगवान शिव पत्तियों में निवास करते हैं यह सबको पता है परन्तु शनिवार को माता लक्ष्मी का दिव्य निवास स्थान पीपल का वृक्ष होता है यह कम लोग ही जानते हैं।
ज्योतिषीय उपचारात्मक दृष्टि से, शनि के कुप्रभाव के शमन में शनिवार को पीपल वृक्ष की पूजा का विधान है। पीपल वृक्ष को जल देना, सरसों या तिल के तेल का दीपक जलाना एवं पीपल के वृक्ष की परिक्रमा लगाना ४ या ७ बार शनि देव के अनिष्टकारी दशा, महादशा या साढ़ेसाती, अष्टम इत्यादि समयों में बहुत ही लाभकारी, शांन्ति एवं कष्टों को कम करने साथ-साथ व्यक्ति की सहनशीलता को भी काफी बढ़ाती है।
एक बात का विशेष ध्यान देने वाली है कि शनि देव को जो भी चीजें अर्पित करनी हो उसे शनिवार को बिल्कुल न खरीदें बल्कि पहले ही खरीद ले क्योंकि सरसों का तेल, लोहा इत्यादि चीज़े जो शनि देव की हैं उन्हें उस दिन खरीदना वर्जित है, अतः इस बात का हमेशा ध्यान रखें।
हमने पहले भी बता रखा है कि अगर कोई व्यक्ति कोई अन्य उपाय करने में अक्षम है, कुछ न कर सके तो कम से कम शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का स्पर्श मात्र भी शनि देव के प्रभाव से बचने में सार्थक सिद्ध होता है।
इसके अलावा शनिवार के दिन माता लक्ष्मी का भी निवास होने के कारण शनिवार के दिन पीपल वृक्ष को जल देना, धूप-दीप जलाके पूजन करने से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है और घर में धन समृद्धि की समस्या का समाधान होने लगता है एवं लक्ष्मी जी की कृपा होती है।
यह भी हमारी मान्यता है एवं पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि हमारे पूर्वजों जो की अब नहीं रहे उनका निवास स्थान पीपल का वृक्ष होता है। वहीँ कुंडली में विभिन्न प्रकार के ज्योतिषीय ग्रहों के युक्ति अथवा संयोजन जो की पिछले जन्मों के अभिशापों को दर्शाते हैं जैसे पूर्वजों द्वारा श्राप (पितृदोष) आदि तो नियमित रूप से पीपल के वृक्ष की पूजा अर्चना, जल देने से ऐसी मान्यता है ज्ञात- अज्ञात समस्त पूर्वजों की आत्मा शांत होती है एवं पूर्वज खुश होकर आशीर्वाद देते हैं जिससे दोषों में राहत मिलने के साथ कमी भी आती है।
उन महिलाओं को जो संतान और गर्भाधान में हो रही समस्याओं से ग्रसित हैं उन्हें भी पीपल वृक्ष की नियमित रूप से रविवार और गुरुवार को छोड़कर पूजा अर्चना करनी चाहिए जिससे उनकी सकल मनोकामना पूर्ण हो एवं त्रिमूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त हो।
वैसे पीपल के वृक्ष की महत्ता अनंत है एवं अनेको उपयोगों के साथ-साथ भ्रांतियां भी जुडी हुई है फिर भी कुछ विशेष बातों का हमेशा ख्याल रखें जैसे केवल उसी पीपल के वृक्ष की पूजा करें जी की किसी मंदिर आदि के प्रांगड़ में हो और उसकि पूजा अर्चना नियमित रूप से होती आ रही हो, शाम के समय जल देना वर्जित है केवल धुप दीप पुष्प आदि से पूजन करें ।जल देने का सर्वोत्तम समय प्रातः का है।
Namo Narayan
Jupiter Speaks