श्रावण मास और रुद्राभिषेक: ज्योतिषीय दृष्टि (Rudrabhishek & Shravan Month)
श्रावण मास (Shravan Month) को ज्योतिषीय दृष्टि से बहुत ही श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि ये मास महादेव श्री भोले शम्भू का है और समस्त ग्रहों का कहीं न कहीं भोले शम्भु से रिश्ता है इसलिए इस माह में भोले शम्भुकी आराधना से समस्त ग्रहो की शांति एवं मनोकामना पूर्ण होती है इसलिए श्रावण के मास में पंचाक्षरी मंत्र , महामृत्युंजय मंत्र का जप अतिशिग्र एवं कई गुना फल देने वाले होते हैं इस संपूर्ण मास में वैसे तो श्री रुद्रम चमकम नामकम , लिंगाष्टकम का पाठ करने का विधान है परन्तु रुद्राभिषेक का अपना अलग ही महत्व है.
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शास्त्रों में ऐसा वर्णित है की शिव लिंग का अभिषेक करने से समस्त पाप नष्ट होते हैं समस्त व्याधियों का नाश होता है एवं भोले शम्भू का आशीर्वाद पूरे वर्ष बना रहता है
रुद्राभिषेक के लिए विभिन्न विभिन्न पदार्थों का प्रयोग किया जाता है जैसे दूध , गन्ने का रस , दही शहद , भस्म , गंगाजल आदि से अलग अलग उदेशों के लिए किया जाता है इसलिए रुद्राभिषेक महत्वपूर्ण है हमारे अनुभव में हमने पाया है की कम से कम श्रावण मास में एक बार रुद्राभिषेक जरूर करना या किसी श्रेष्ठ ब्राह्मण से मंदिर में या अपने घर में गंगाजीकी मिटटी लेकर शिव लिंग और नंदी का निर्माण कर उनका ऊपर विदित पदार्थों से यथा शक्ति रुद्राभिषेक करना चाहिए एवं शिव मन्त्रों का पाठ करना चाहिए इससे गृह शांति , शत्रु पीड़ा से मुक्ति , बीमारी से मुक्ति और अनेकों कष्टों का नाश होता है.
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अगर इतना न कर पाए तो कम से कम सोमवार के दिन शिवलिंग का दूध और जल से अभिषेक करें सूर्य उदय से पहले यह हमारा व्यवाहरिक अनुभव है की सूर्योदय से पहले जल दूध से अभिषेक बहुत ही श्रेयकर और संपूर्ण मनोकामना पूर्ण करने वाला सिद्ध हुआ है. इस बात का हमेशा ध्यान चाहिए की दूध को कभी भी ताम्बे या पीतल के पात्र से ना चढ़ाएं जल को चढ़ा सकते हैं दूध के लिए स्टील के पात्र का प्रयोग कर सकते हैं.
चंद्र , शनि , राहु , बृहस्पति ग्रहों की महादशा से गुजर रहे लोगों के लिए रूद्राभिक करना बहुत ही शांति कारक एवं लाभदायी सिद्ध होता है.